पाकिस्तान अफगानिस्तान सीमा विवाद: अफगान सेना का मुंहतोड़ जवाब, पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा!
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. ताजा खबरों के अनुसार, अफगानिस्तान की सेना ने पाकिस्तान के 2 दिन पहले किए गए हवाई हमले का करारा जवाब दिया है.
खबर है कि बीती रात पाकिस्तान और अफगान सीमा बलों के बीच डुरंड लाइन पर कुराम जिले के गावी क्षेत्र में भीषण टकराव हुआ. खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में बॉर्डर पर हुई इस गोलीबारी और झड़प में पाकिस्तान के 12 सैनिक मारे गए हैं, और अफगान सेना ने बॉर्डर पर कई पाकिस्तानी चौकियों पर कब्जा कर लिया है. यह सीमा विवाद गंभीर रूप लेता जा रहा है और इलाके में तनाव चरम पर है.
खबरों की माने तो, 9-10 अक्टूबर की रात को पाकिस्तान की सेना ने TTP चीफ (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) नूर वली मेहसूद को निशाना बनाते हुए अफगानिस्तान के काबुल, खोस्त, जलालाबाद और पक्तिका में हमला किया था. अब इसके जवाब में अफगानिस्तान की 201 खालिद बिन वालिद आर्मी कोर ने पाकिस्तानी फ्रंटियर कॉर्प्स के ठिकानों पर कुराम, बाजौर और नॉर्थ वजीरिस्तान में एक साथ हमला किया. यह हमला तोप, मोर्टार से बमबारी और ड्रोन अटैक के द्वारा किया गया. इस अफगानिस्तान पाकिस्तान संघर्ष पर भारतीय खुफिया एजेंसियां भी बारीकी से नजर रख रही हैं. यह अंतर्राष्ट्रीय संबंध और सुरक्षा के लिहाज से एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है.
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्लामिक एमिरेट्स ऑफ अफगानिस्तान की सेना ने पाकिस्तान की अंगूर अड्डा, बाजौर, कुर्रम, दीर, चित्राल और बलूचिस्तान में बारामचा स्थित चौकियों पर गोलीबारी करके उन्हें तबाह कर दिया और उन पर कब्जा कर लिया. कुनार, नंगरहार, पक्तिका, खोस्त और हेलमंद में भी अफगान और पाक सैनिकों में झड़प हुई है. तालिबान के अधिकारियों ने भी झड़पों की पुष्टि की है. यह भी खबर है कि अफगानिस्तान के सैनिकों ने पाक सैनिकों के हथियार छीनकर हमला किया. ये घटनाएं सीमा सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती पेश करती हैं और क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरे में डालती हैं.
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने पहले अफगानिस्तान पर हमले से इनकार किया था और साथ ही यह आह्वान किया था कि अफगानिस्तान तहरीक-ए-तालिबान के आतंकियों को पनाह न दे, वरना अंजाम भुगतना पड़ेगा. पूर्व अमेरिकी दूत जल्माय खलीलजाद ने भी अफगानिस्तान में पाकिस्तान के कथित हमलों पर चिंता जताई थी और इस टकराव को पूरी दुनिया के लिए नया खतरा बताया था. उन्होंने यह भी कहा था कि सैन्य हमले समाधान नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों को कूटनीति से विवाद को सुलझाना चाहिए. कूटनीति और शांति वार्ता के जरिए ही इस सीमा विवाद का हल निकाला जा सकता है, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनी रहे.
