भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच : पहलगाम आतंकी हमला पीड़ितों की याद में उठे सवाल!
क्रिकेट और राजनीति का गहरा नाता हमेशा से रहा है, लेकिन हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच होने वाले मैच को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह विवाद सिर्फ क्रिकेट तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत की विदेश नीति और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख पर भी सवालिया निशान लगा रहा है।
पहलगाम आतंकी हमला : एक दुखद घटना
यह सारा विवाद पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ा है, जो 22 अप्रैल को हुआ था। इस हमले में 26 नागरिक मारे गए थे, जिनमें ज्यादातर पर्यटक शामिल थे। इस दुखद घटना ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और तनावपूर्ण बना दिया। इसके बाद, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया, व्यापार रोक दिया और कूटनीतिक हमले किए।
मैच का विरोध क्यों?
इस घटना के बाद, जब भारत और पाकिस्तान क्रिकेट मैच खेलने की बात आई, तो देशभर में लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया। विपक्षी दलों ने इसे पहलगाम आतंकी हमले के पीड़ितों और सीमा पर शहीद हुए भारतीय सैनिकों का अपमान बताया।
शुभम द्विवेदी की विधवा ऐशान्या की अपील
पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए कानपुर के व्यापारी शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशान्या ने लोगों से इस मैच का बहिष्कार करने की अपील की है। उन्होंने बीसीसीआई (BCCI) पर पीड़ित परिवारों की भावनाओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि यह फैसला “बेहद असंवेदनशील” है।
विपक्ष का विरोध
इस मामले में विपक्ष भी सरकार पर हमलावर है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने पूरे महाराष्ट्र में मैच के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि यह मैच राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान है और आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख पर सवाल उठाता है। दिल्ली के पूर्व मंत्री सौरभ भारद्वाज ने भी पाकिस्तान के क्रिकेट खिलाड़ियों का प्रतीकात्मक पुतला जलाया और सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस, एनसीपी और एआईएमआईएम जैसे दलों ने भी पाकिस्तान के साथ खेलने के फैसले की आलोचना की है।
ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल
उद्धव ठाकरे ने सरकार से सवाल किया है कि क्या ऑपरेशन सिंदूर को रोक दिया गया है? उन्होंने देशभक्तों से अपील की कि वे मैच न देखें, क्योंकि पहलगाम हमले के घाव अभी भी ताजे हैं।
बीसीसीआई पर आरोप
ऐशान्या ने आरोप लगाया है कि बीसीसीआई के लिए शहादत का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने स्पॉन्सरों और ब्रॉडकास्टरों से भी सवाल किया कि क्या मैच से होने वाली कमाई पाकिस्तान के आतंकवाद के लिए इस्तेमाल की जाएगी।
शिंदे सेना और एनसीपी का जवाब
हालांकि, शिंदे सेना और एनसीपी ने मैच के विरोध पर सवाल उठाए हैं। शिंदे सेना के प्रवक्ता नरेश म्हस्के ने उद्धव ठाकरे पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें मैच का विरोध करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा कि खेल के संबंध में फैसला उचित मंच पर लिया गया है, लेकिन अलग-अलग राय होना स्वाभाविक है।
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच का यह मुद्दा आतंकवाद, शहीदों के सम्मान और विदेश नीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस को जन्म दे रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का आगे क्या नतीजा निकलता है और भारतीय क्रिकेट पर इसका क्या असर पड़ता है। क्रिकेट के मैदान पर भारत-पाकिस्तान का मुकाबला हमेशा से ही रोमांचक रहा है, लेकिन इस बार यह खेल भावनाओं और राजनीति के भंवर में फंस गया है।