असदुद्दीन ओवैसी का ‘आई लव मुहम्मद’ पर बयान: बिहार की राजनीति में गरमाहट
आई लव मुहम्मद विवाद को लेकर सियासत तेज हो गई है। कानपुर से शुरू हुआ यह पोस्टर वॉर अब नेताओं के लिए एक बड़ा मुद्दा बन गया है। हाल ही में बिहार के बहादुरगंज में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक सभा में कहा कि अगर हमारे हिंदू भाई ‘आई लव महादेव‘ कह सकते हैं, जैसा कि उन्होंने पहले किया था, तो हम ‘आई लव मुहम्मद‘ क्यों नहीं कह सकते हैं?
असदुद्दीन ओवैसी ने लड़कियों के बुर्के न पहनने के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार अब जो कदम उठा रही है वह सही नहीं है। यह बयान बिहार चुनाव के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है, जहाँ मुस्लिम वोट एक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ओवैसी का यह बयान वोट बैंक को साधने की एक कोशिश हो सकती है। बिहार की राजनीति में इस मुद्दे पर काफी चर्चा हो रही है और विभिन्न राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दे रही हैं। ओवैसी का बयान निश्चित रूप से बिहार के चुनावी माहौल को और भी गरमा देगा। चुनावी रणनीतिकारों के अनुसार, इस तरह के बयान अक्सर मतदाताओं को आकर्षित करने और उन्हें ध्रुवीकृत करने का काम करते हैं। ओवैसी ने आगे कहा कि संविधान सभी को अपने धर्म का पालन करने की अनुमति देता है, और ‘आई लव मुहम्मद‘ का नारा लगाना किसी भी तरह से गैरकानूनी नहीं है। ओवैसी का भाषण सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रहा है और लोग इस पर अपनी राय रख रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि ओवैसी का यह बयान राष्ट्रीय राजनीति में भी एक नई बहस को जन्म दे सकता है। AIMIM पार्टी इस मुद्दे को लेकर और भी आक्रामक हो सकती है ताकि मुस्लिम समुदाय का समर्थन हासिल किया जा सके।
बहादुरगंज में जनता को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा, “आपके शहर में एक व्यक्ति जुलूस में एक पोस्टर लेकर घूम रहा था जिस पर लिखा था ‘आई लव मुहम्मद‘। अधिकारियों ने उससे पोस्टर छीन लिया और कहा कि इसे नहीं दिखाया जा सकता। इस पर ओवैसी ने निशाना साधते हुए कहा कि हम सभी अपने-अपने धर्मों का पालन करेंगे, हम अपने पूजा स्थलों की रक्षा करेंगे, और यही हमारे बुजुर्गों ने हमें आजादी के समय बताया था।” ओवैसी ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या यह धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ नहीं है? उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए और किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करना चाहिए। ओवैसी ने जनता से अपील की कि वे एकता और भाईचारे के साथ रहें और किसी भी तरह की सांप्रदायिक भावनाओं को बढ़ावा न दें। ओवैसी के इस बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी सरकार पर हमला बोला और आरोप लगाया कि वह ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस मुद्दे का असर आने वाले चुनावों पर भी पड़ सकता है।
I Love Muhammad पोस्टर गैरकानूनी नहीं
ओवैसी ने कहा कि अगर कोई अपने किसी धार्मिक नेता के लिए भी यही नारा लगाए जैसा हिंदू भाइयों ने लगाया था तो हमें उससे कोई आपत्ती नहीं है, लेकिन हम पोस्टर लेकर घूम रहे हैं तो वह गैरकानूनी कैसे हो सकता है। उस पोस्टर में ऐसा कुछ नहीं है जो हिंसा को भड़काए और आक्रमण को उकसाता हो। ओवैसी ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि जिन अधिकारियों ने पोस्टर छीना है, उनके खिलाफ जांच होनी चाहिए। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भी इस घटना की निंदा की है और कहा है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। ओवैसी ने यह भी कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को संसद में भी उठाएगी और सरकार से जवाब मांगेगी। ओवैसी ने जनता से शांति बनाए रखने की अपील की और कहा कि उन्हें कानून पर भरोसा है।
‘सरकार हमारे दिलों पर वार कर रही है’
ओवैसी ने कहा कि हम मुसलमान हैं, हमारी कौम में सभी नेमतों, औलाद और दौलतों के बाद भी सबसे पहले मुहम्मद से प्यार करते हैं क्योंकि उनकी वजह से मुस्लिम हैं। सरकार ने हमारी लड़कियों को हिजाब और बुर्का पहनने से रोका था, यह कदम सही नहीं है। सरकार हमारे दिलों पर वार कर रही है, लेकिन याद रखें कि हमने अपने शरीर पर हमले बर्दाश्त किए हैं। ओवैसी ने मुस्लिम समुदाय से शिक्षा और रोजगार पर ध्यान देने की अपील की और कहा कि यही सफलता का रास्ता है। ओवैसी ने यह भी कहा कि मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक रूप से जागरूक होना चाहिए और अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए। ओवैसी ने युवाओं से आगे आने और समाज में बदलाव लाने का आह्वान किया।
किस पर था ओवैसी का निशाना?
इस समय बिहार में विधानसभा चुनावों को लेकर सभी राजनीतिक दल जुटे हुए हैं। बिहार में जातिगत राजनीति का महत्व है। ऐसे में ओवैसी का यह बयान कहीं न कहीं बिहार में आने वाले विधानसभा चुनावों में बड़ा फेर बदल कर सकता है। हालांकि, उनका यह बयान एनडीए पर हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, ओवैसी का यह बयान मुस्लिम वोटों को अपनी ओर आकर्षित करने की रणनीति का हिस्सा है। बिहार में मुस्लिम समुदाय एक महत्वपूर्ण वोट बैंक है, और ओवैसी का लक्ष्य इस वोट बैंक को अपने पक्ष में करना है। एनडीए के नेताओं ने ओवैसी के बयान की आलोचना की है और कहा है कि वह सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्षी दलों ने भी ओवैसी के बयान पर सवाल उठाए हैं और कहा है कि वह ध्रुवीकरण की राजनीति कर रहे हैं। बिहार में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है, और सभी पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुटी हैं। आने वाले चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि ओवैसी के बयान का मतदाताओं पर क्या असर होता है। राजनीति विशेषज्ञों का मानना है कि बिहार चुनाव में इस तरह के मुद्दे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
