ऊना में डॉक्टरों ने समय पर बचाई गर्भवती गाय की जान, पेट से निकाला 28 किलो प्लास्टिक और 41 कील

ऊना के पशु चिकित्सालय में गर्भवती गाय की जान बचाई: 28 किलो प्लास्टिक सर्जरी और सफलता की कहानी!

नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे ऊना के पशु चिकित्सालय बरनोह में हुई एक ऐसी घटना की जिसने पशु चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। यहां डॉक्टरों ने एक गर्भवती गाय की जान बचाई, जिसके पेट से 28 किलो प्लास्टिक और 41 कीलें निकाली गईं। यह वाकई में एक अविश्वसनीय सर्जरी थी!

ऊना का **पशु चिकित्सालय** बरनोह हिमाचल प्रदेश में स्थित है और यह **पशु स्वास्थ्य** की देखभाल के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया है। यहां के डॉक्टरों ने एक **गर्भवती गाय** का सफल **ऑपरेशन** कर दिखाया। गाय पिछले कुछ दिनों से खाना-पीना बंद कर चुकी थी, जिससे उसकी हालत गंभीर हो गई थी। **वेटनरी डॉक्टर्स** ने तुरंत कार्रवाई करते हुए, गाय का **सर्जिकल प्रोसीजर** किया।

पशु चिकित्सा के इस चुनौतीपूर्ण ऑपरेशन का नेतृत्व डॉ. निशांत रनौत और डॉ. शिल्पा रनौत ने किया। उनकी टीम में डॉ. स्टेफनी, डॉ. निकिता चौधरी, रमेश चंद, सिमरन और महाबीर सिंह शामिल थे। उन्होंने मिलकर गाय के पेट से 28 किलो प्लास्टिक, कपड़े, रस्सियां और 41 कीलें सफलतापूर्वक निकालीं। यह सर्जरी लगभग पूरी तरह से सफल रही, और गाय की हेल्थ में सुधार हो रहा है। डॉक्टरों ने बताया कि गाय को अब सात दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा ताकि उसकी रिकवरी सुनिश्चित की जा सके।

यह **मामला** कलरूही निवासी विपिन कुमार और अन्य स्थानीय लोगों द्वारा अस्पताल में लाया गया था। **पशु स्वास्थ्य** की देखभाल करने वाले स्थानीय लोगों ने जब गाय को बीमार देखा, तो उसे तुरंत **वेटनरी हॉस्पिटल** पहुंचाया। डॉक्टरों ने गाय की प्रारंभिक जांच की और पाया कि वह कुछ खा नहीं पा रही है। **वेटनरी डॉक्टर्स** ने तुरंत रक्त जांच और अन्य जरूरी टेस्ट किए, जिसके बाद **सर्जरी** का फैसला लिया गया।

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. वीरेंद्र पटियाल ने इस सफल सर्जरी के लिए डॉक्टरों की टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह न केवल चिकित्सा विज्ञान की एक्सीलेंस का उदाहरण है, बल्कि लोगों को भी प्लास्टिक और अन्य हानिकारक वस्तुओं को खुले में न फेंकने की चेतावनी देता है। उन्होंने जनता से अपील की है कि वे कचरे का सही डिस्पोजल करें ताकि पशुओं और पर्यावरण दोनों की सुरक्षा की जा सके। यह वास्तव में एक सराहनीय पहल है, जो पशु कल्याण के प्रति जागरूकता बढ़ाती है।

जोनल **पशु चिकित्सालय** बरनोह में आधुनिक **उपकरणों** और सुविधाओं से लैस है। यहां चार विशेषज्ञ **वेटनरी डॉक्टर्स** सेवाएं दे रहे हैं। यह अस्पताल तीन जिलों के लिए एक **रेफरल अस्पताल** भी है। यहां तक कि 53 बड़े **डायफ्रामेटिक हर्निया** जैसी जटिल सर्जरी भी सफलतापूर्वक की जा चुकी हैं। इस अस्पताल में पशुओं के लिए **ब्लड टेस्ट**, **अल्ट्रासाउंड** और **शल्य चिकित्सा** जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यही कारण है कि यह **पशु चिकित्सालय** क्षेत्र में बड़े पशुओं के उपचार के लिए एक **सेंटर** बनकर उभरा है।

यह घटना न केवल डॉक्टरों की अनुभव और कौशल को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि पशु स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता कितनी जरूरी है। हमें उम्मीद है कि यह कहानी आपको प्रेरित करेगी और आप भी पशु कल्याण के लिए अपना योगदान देंगे।

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