क्या खत्म होगा अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद?

भारत-अमेरिका संबंध: क्या डोनाल्ड ट्रम्प का यू-टर्न कूटनीति की जीत है? 🇮🇳🤝🇺🇸

नमस्कार दोस्तों! आज हम बात करेंगे भारत और अमेरिका के बीच बदलते रिश्तों की, खासकर जब से डोनाल्ड ट्रम्प ने पीएम मोदी को अपना ‘महान मित्र’ बताया है। क्या यह सिर्फ एक बयान है, या यह भारत की कूटनीतिक कुशलता का नतीजा है? आइए, जानते हैं!

हाल ही में, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति, डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत के बारे में अपने बयानों को नरम किया है। यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, खासकर जब US Tariff बढ़ाने की बात चल रही थी। शुरुआत में, ट्रम्प ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के कारण टैरिफ लगाने की बात कही थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर भारत को चीन के साथ ‘गहरे अंधेरे’ की ओर जाते हुए भी बताया था। लेकिन फिर अचानक, उन्होंने पीएम मोदी को अपना ‘महान मित्र’ कहा और भारत-अमेरिका संबंधों को ‘विशेष’ बताया।

यह बदलाव क्यों? विशेषज्ञ मानते हैं कि यह भारत की कूटनीतिक रणनीति का परिणाम है। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट संकेत दिया है कि भारत चीन द्वारा बनाए जा रहे एंटी-वेस्ट गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना चाहता। प्रसिद्ध विशेषज्ञ गॉर्डन चांग ने भी इस बात पर सहमति जताई है। उनका मानना है कि ट्रम्प का यह यू-टर्न सही था।

ट्रम्प प्रशासन की व्यापार नीति अक्सर आक्रामक रही है। मई में, भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने पर, ट्रम्प ने खुद को मध्यस्थ बताने की कोशिश की थी, जिससे भारत नाराज हो गया था। इसके अलावा, रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ लगाने की बात ने भी रिश्तों में खटास पैदा कर दी थी। लेकिन ट्रम्प का पीछे हटना दिखाता है कि अमेरिका भारत को चीन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण साथी के रूप में खोना नहीं चाहता।

यह बदलाव व्यापार वार्ता के लिए एक अच्छी खबर है। भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिकी बाजार पर बहुत निर्भर है। टैरिफ लगने से भारतीय निर्यात प्रभावित हो सकता था। लेकिन अब, व्यापार समझौते की संभावना बढ़ गई है, जिससे भारत और अमेरिका दोनों को फायदा होगा।

मोदी सरकार ने हमेशा रणनीतिक संतुलन बनाए रखा है। शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की, लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि भारत एंटी-वेस्ट गठबंधन का हिस्सा बन रहा है। यह एक संदेश था कि भारत विकल्प तलाश सकता है। सीमा विवाद और व्यापार घाटे के बावजूद, भारत-चीन संबंधों में सुधार की कोशिशें जारी हैं, लेकिन मोदी ने साफ कर दिया है कि भारत पश्चिम विरोधी मोर्चे में शामिल नहीं होगा।

इस प्रकार, डोनाल्ड ट्रम्प का यू-टर्न न केवल कूटनीतिक सफलता है, बल्कि यह भारत की मजबूत रणनीतिक स्वायत्तता को भी दर्शाता है। भारत अंतर्राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है, जो अपनी शर्तों पर रिश्तों को आकार दे रहा है।

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