पंजाब सरकार का पराली जलाने की समस्या पर वार: नई योजना से प्रदूषण कम, किसानों को मदद और सतत खेती का सपना साकार!
नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे पंजाब की एक बेहद महत्वपूर्ण पहल की, जो पराली जलाने की समस्या से निपटने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक बड़ा कदम है। पंजाब सरकार, मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में, एक ऐसी नई योजना लेकर आई है जो किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है। यह योजना सहकारी बैंकों के माध्यम से संचालित की जाएगी, जिसका मुख्य उद्देश्य फसल अवशेष प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
पराली जलाना, पंजाब और आसपास के राज्यों में वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण रहा है। सर्दियों के मौसम में दिल्ली और उत्तर भारत के कई शहरों में प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुँच जाता है, जिसका सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है। पंजाब सरकार इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है, और नई योजना इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
यह योजना, जिसे संशोधित फसल अवशेष प्रबंधन ऋण योजना कहा जा रहा है, किसानों को आधुनिक मशीनरी खरीदने के लिए बड़ी सब्सिडी प्रदान करेगी। इस योजना का संचालन सहकारी बैंकों के माध्यम से किया जाएगा, जिससे किसानों को आसानी से ऋण मिल सके और वे प्रदूषण कम करने में योगदान दे सकें।
मुख्य बातें:
- सब्सिडी: प्राथमिक कृषि सहकारी सभाओं और बहु-उद्देश्यीय सहकारी सभाओं को मशीनरी खरीदने पर 80 प्रतिशत तक सब्सिडी मिलेगी, जो अधिकतम 24 लाख रुपये तक हो सकती है। व्यक्तिगत किसानों को भी 50 प्रतिशत सब्सिडी का लाभ मिलेगा। यह किसानों के लिए आर्थिक मदद है।
- आसान ऋण: किसानों को ऋण की केवल 25 प्रतिशत राशि का भुगतान करना होगा, जबकि सहकारी सभाओं को सिर्फ 10 प्रतिशत अग्रिम राशि देनी होगी। यह किसानों को ऋण की उपलब्धता को आसान बनाता है।
- पर्यावरण संरक्षण: यह योजना पराली जलाने के बजाय आधुनिक उपकरणों से उसका प्रबंधन करने को प्रोत्साहित करती है। यह वायु प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मदद करेगा।
- रोजगार के अवसर: इस योजना से ग्रामीण समुदायों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे किसानों और स्थानीय लोगों को फायदा होगा।
- सतत खेती (Sustainable Farming): यह योजना सतत खेती को बढ़ावा देती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुँचाए बिना किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सके।
- बायो-ऊर्जा (Bio-energy): पंजाब सरकार बायो-ऊर्जा प्लांटों को भी प्रोत्साहित कर रही है, ताकि फसल अवशेष से स्वच्छ ऊर्जा का उत्पादन किया जा सके, जिससे हरित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने इस योजना को किसानों के कल्याण और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों के लिए एक ऐतिहासिक कदम बताया है। उनकी सरकार सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने और पराली जलाने से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है। उनका मानना है कि यह योजना पंजाब के किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगी और उन्हें पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करेगी।
यह एक बेहतरीन पहल है जो पराली जलाने की समस्या को हल करने, प्रदूषण को कम करने और किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने में मदद करेगी। अगर आप भी पंजाब के रहने वाले हैं या किसानों के कल्याण और पर्यावरण संरक्षण में रुचि रखते हैं, तो इस योजना के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें और इसे समर्थन दें।