नरेंद्र मोदी जी का 75वां जन्मदिन: पीएम मोदी के मानवीय पक्ष की अनसुनी कहानियाँ!
आज, हम भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का 75वां जन्मदिन मना रहे हैं! इस खास मौके पर, दुनिया भर से शुभकामनाएं आ रही हैं। आइए, आज हम पीएम मोदी से जुड़ी कुछ ऐसी अनसुनी कहानियों पर नज़र डालते हैं जो उनके मानवीय पक्ष को उजागर करती हैं। ये कहानियाँ उनकी राजनीतिक उपलब्धियों से परे, उनके व्यक्तित्व को गहराई से समझने में मदद करेंगी।
पीएम मोदी हमेशा कहते हैं कि राष्ट्र हित उनके लिए सर्वोपरि है। इन कहानियों के माध्यम से, आप इस दावे की गहराई को महसूस कर पाएंगे। तो चलिए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर, उनकी जिंदगी के कुछ अनछुए पहलुओं पर नज़र डालते हैं।
1979 की मच्छू बांध त्रासदी के दौरान सेवा
पीएम मोदी ने राजनीति में आने से पहले ही समाज सेवा में अपना योगदान देना शुरू कर दिया था। आरएसएस स्वयंसेवक के रूप में उन्होंने कई राहत कार्यों और बचाव कार्यों में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। 1979 में गुजरात के मोरबी में मच्छू बांध त्रासदी एक ऐसा ही भयावह मंजर था, जिसने लोगों का जीवन तबाह कर दिया था। इस त्रासदी में लगभग 25,000 लोगों की जान चली गई थी।
नरेंद्र मोदी उस समय आरएसएस के स्वयंसेवकों की सेना का हिस्सा थे। उन्होंने त्रासदी में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार किया, गाँवों के पुनर्निर्माण में योगदान दिया और राहत कार्यों में बिना किसी भेदभाव के मदद की। यहाँ तक कि सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के आरोपों के बावजूद, उन्होंने ईद के दौरान कई मुस्लिम परिवारों की मदद की और संसाधन जुटाने के लिए ‘पूर्ण पीड़ित सहायता समिति’ का गठन किया ताकि किसी का त्यौहार खराब न हो। यह सेवा और मानवता के प्रति उनके समर्पण का एक स्पष्ट उदाहरण है।
नरेंद्र मोदी और उनकी माँ का अटूट प्यार
प्रधानमंत्री मोदी अपनी माँ से बहुत प्यार करते हैं। 2014 के आम चुनाव में जब उन्हें ऐतिहासिक जीत मिली, तो दुनिया भर के प्रभावशाली लोगों ने उन्हें बधाई दी। लेकिन, नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले अपनी जीत का जश्न अपनी माँ हीराबेन के साथ मनाया। वह अपनी माँ का आशीर्वाद लेने के लिए गांधीनगर पहुंचे। उस समय मीडिया का जमावड़ा लग गया था, लेकिन उनका कमरा इतना छोटा था कि वहां दस कैमरे भी मुश्किल से लग पा रहे थे। यह कथा उनके पारिवारिक प्रेम और संस्कारों को दर्शाती है, जो उन्हें एक महान नेता बनाते हैं।
वनडे खेलने का इरादा!
जब नरेंद्र मोदी पहली बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तो उन्होंने अपने पहले बयान से ही अपने शासन की दिशा तय कर दी। शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, उन्होंने कहा कि वे “टेस्ट मैच खेलने नहीं आए हैं, बल्कि वनडे खेलने आए हैं।” उनका यह बयान दर्शाता है कि वे राजनीति में लंबी पारी खेलने और देश के लिए बड़े बदलाव लाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने अपने मंत्रियों के लिए प्रशिक्षण शिविर भी शुरू किए, जिसमें IIM अहमदाबाद के विशेषज्ञों ने उन्हें प्रशिक्षित किया। यह दृष्टिकोण भारतीय राजनीति के लिए एक नया अध्याय था।
सैनिकों के प्रति सम्मान और देशभक्ति
नरेंद्र मोदी के अंदर देशभक्ति की भावना बचपन से ही थी। राजनीति में आने से पहले, उन्होंने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान रेलवे स्टेशनों पर सैनिकों के लिए चुपचाप चाय और नाश्ता ले जाने का काम किया। यह कार्य देश और सशस्त्र बलों के प्रति उनके सम्मान को दर्शाता है। आज भी, पीएम मोदी दिवाली और अन्य त्योहार सैनिकों के साथ मनाते हैं, जो उनके अटूट समर्पण का प्रमाण है।