इजरायल-यमन संघर्ष: हवाई हमले और मध्य पूर्व में तनाव
इजरायल और यमन के बीच संघर्ष लगातार बढ़ता जा रहा है, जिससे मध्य पूर्व में भू-राजनीतिक अस्थिरता और मानवीय संकट गहरा रहा है। हाल ही में, इजरायल ने यमन के रेड सी पोर्ट हुदैदा पर कई हवाई हमले किए हैं, जिससे इलाके में युद्ध जैसे हालात बन गए हैं। इन हमलों में दर्जनों नागरिकों के मारे जाने की खबर है, जो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है।
इजरायल का दावा है कि ये हवाई हमले हूती विद्रोहियों के खिलाफ हैं, जो गाजा युद्ध के बाद से इजरायल के खिलाफ मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे हैं। हालाँकि, इन हमलों का सबसे बड़ा असर आम नागरिकों पर पड़ रहा है, जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र और अंतर्राष्ट्रीय संगठन इस संघर्ष को रोकने और मानवीय सहायता प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं।
हुदैदा पोर्ट पर हमले:
हुदैदा एक महत्वपूर्ण रेड सी पोर्ट है, जो यमन के लिए जीवन रेखा है। इजरायल ने इस पोर्ट पर 12 से अधिक हवाई हमले किए, जिससे बंदरगाह को भारी नुकसान हुआ है और शिपिंग गतिविधियां बाधित हो गईं। इजरायली सेना ने हमलों से पहले पोर्ट और आसपास के इलाकों को खाली करने की चेतावनी दी थी, लेकिन नागरिकों को सुरक्षित निकालने में मुश्किल हो रही है।
गाजा युद्ध का प्रभाव:
गाजा में इजरायल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से ही यमन के हूती विद्रोहियों ने फिलिस्तीन के समर्थन में इजरायल पर हमले तेज कर दिए हैं। हूतियों ने लाल सागर में जहाजों और इजरायल के ठिकानों को निशाना बनाया है। इससे क्षेत्रीय तनाव बढ़ा है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में चिंता पैदा हुई है।
नागरिकों पर भारी असर:
इन हवाई हमलों का सबसे बड़ा खामियाजा यमन के नागरिकों को भुगतना पड़ रहा है। बुधवार को राजधानी सना और अल-जौफ गवर्नरेट में हुए इजरायली हमलों में दर्जनों लोगों की जान चली गई। यमन की हूती सरकार का आरोप है कि इजरायल जानबूझकर नागरिकों को निशाना बना रहा है ताकि देश को अस्थिर किया जा सके।
बदले की चेतावनी और संघर्ष का बढ़ना:
इजरायल ने पिछले महीने सना में हूती प्रधानमंत्री की हत्या कर दी थी, जिसके बाद हूतियों ने बदला लेने की चेतावनी दी थी। हूतियों के कार्यवाहक प्रधानमंत्री ने कहा है कि उनकी लड़ाई इजरायल के खिलाफ जारी रहेगी और वे किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे। यह बयान संकेत देता है कि आने वाले दिनों में संघर्ष और भी तेज हो सकता है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा को खतरा है।
निष्कर्ष:
इजरायल और यमन के बीच संघर्ष मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता के लिए एक गंभीर खतरा है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस संघर्ष को रोकने, मानवीय सहायता प्रदान करने और शांतिपूर्ण समाधान खोजने के लिए मिलकर काम करना होगा। इस संघर्ष के कारण नागरिकों की सुरक्षा और मानवाधिकारों की रक्षा करना भी आवश्यक है। विश्व शांति के लिए, इजरायल-यमन संघर्ष का समाधान निकालना अत्यंत जरूरी है।