अमित शाह का हिंदी दिवस पर भाषा और शिक्षा पर महत्वपूर्ण भाषण!
नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के हालिया हिंदी दिवस पर दिए गए अहम भाषण के बारे में। उन्होंने भाषा, शिक्षा, मातृभाषा, तकनीक और आत्मनिर्भर भारत जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी बात रखी। यह एक ऐसा भाषण था जिसने भारत की भाषाई विविधता को सलाम किया और हिंदी के भविष्य को लेकर एक नई दिशा दिखाई।
हिंदी दिवस 2025 पर अमित शाह जी ने अहमदाबाद में 5वें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के दौरान AI आधारित बहुभाषी अनुवाद सारथी मंच लॉन्च किया। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण कदम है जो भारत की भाषाई समावेशिता को बढ़ावा देगा। इस मंच की मदद से अब कोई भी राज्य सरकार तमिल, तेलुगु, मलयालम, बंगाली, पंजाबी या मराठी जैसी किसी भी भारतीय भाषा में केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिख सकती है और मंत्रालय का जवाब भी उसी भाषा में अनुवादित होकर मिलेगा। यह मंच शासन और सार्वजनिक सेवाओं को जनता के और करीब लाने में मदद करेगा।
अमित शाह जी ने इस दौरान स्पष्ट किया कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में कोई टकराव नहीं है। उन्होंने हिंदी को केवल बोलचाल या प्रशासनिक भाषा तक सीमित न रखने की बात कही, बल्कि इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्याय और पुलिसिंग की भाषा बनाने का आह्वान किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की भाषाई विविधता इसकी ताकत है, न कि विभाजन का कारण।
मातृभाषा की शिक्षा पर जोर देते हुए अमित शाह जी ने कहा कि हमें अपने बच्चों से उनकी मातृभाषा में बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “बच्चा अपनी मातृभाषा में सोचता है। जब उस पर दूसरी भाषा थोपी जाती है, तो उसकी 30% मानसिक ऊर्जा अनुवाद में चली जाती है।” यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है! मातृभाषा में शिक्षा बच्चों के संज्ञानात्मक विकास और राष्ट्रीय प्रगति के लिए अत्यंत आवश्यक है। Early childhood education में मातृभाषा का इस्तेमाल बच्चों को बेहतर ढंग से सीखने में मदद करता है।
उन्होंने हिंदी को आधुनिक बनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने हिंदी शब्द सिंधु परियोजना की सराहना की, जो अब 7 लाख शब्दों को पार कर चुकी है और 2029 तक दुनिया का सबसे बड़ा शब्दकोश बन जाएगा। उन्होंने चेतावनी दी, “हमें समय के साथ अपनी भाषा को अनुकूलित करना होगा। जो बदलाव नहीं करते, वे इतिहास बन जाते हैं।” Language adaptation समय की मांग है।
भाषा और आत्मनिर्भर भारत के बारे में बात करते हुए, अमित शाह जी ने कहा, “संस्कृत ने हमें ज्ञान की गंगा दी, हिंदी ने उस ज्ञान को हर घर तक पहुंचाया, और हमारी स्थानीय भाषाओं ने इसे संरक्षित किया।” उन्होंने हिंदी और मातृभाषाओं को मजबूत कर आत्मविश्वास से भरे भारत के निर्माण का आह्वान किया। भाषा ही संस्कृति और पहचान को जीवित रखती है। Digital India के इस दौर में भाषा का महत्व और भी बढ़ गया है। Technology के जरिए हम अपनी भाषा को और भी आगे ले जा सकते हैं।
तो दोस्तों, अमित शाह जी का यह भाषण भाषा के महत्व और शिक्षा की जरूरत पर एक प्रेरणादायक संदेश था। हमें अपनी मातृभाषा को सम्मान देना चाहिए और हिंदी सहित सभी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना चाहिए। Let’s promote our languages और make India proud!