छठ पूजा 2025: आस्था और संस्कृति का महापर्व
छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह भारत की लोक संस्कृति, प्रकृति के प्रति कृतज्ञता और सामूहिक आस्था का अद्भुत संगम है। यह पर्व सूर्य देव और छठी माई की उपासना के माध्यम से जीवन में ऊर्जा, समृद्धि और संतति की कामना का प्रतीक है। अब छठ पूजा भारत की उस परंपरा का उत्सव है जहाँ भक्ति, प्रकृति और संस्कृति एक साथ झूम उठती हैं।
बिहार से शुरू हुआ यह पर्व अब देशभर में अपनी जड़ें फैला चुका है और भारतीय सांस्कृतिक पर्यटन का अहम हिस्सा बन गया है। आइए जानते हैं, बिहार से बाहर देश के किन 5 राज्यों में भी दिखता है छठ पूजा की आस्था का अद्भुत नजारा?
यूपी में गंगा किनारे का स्वर्गीय दृश्य
उत्तर प्रदेश में छठ पूजा का माहौल किसी लोक उत्सव से कम नहीं होता। वाराणसी और प्रयागराज के घाटों पर जब हजारों दीपक टिमटिमाते हैं और व्रती उगते-डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं, तो पूरा वातावरण मंत्रमुग्ध हो उठता है। गंगा आरती की गूंज, लोक गीतों की मिठास और श्रद्धालुओं की आस्था का समंदर, सब मिलकर छठ की शाम को दिव्यता से भर देते हैं। इनके साथ ही लखनऊ में गोमती का किनारा, अयोध्या में सरयू का तल भी लाजवाब दृश्य उत्पन्न करता है। उत्तर प्रदेश पर्यटन इस दौरान कई विशेष कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
यमुना किनारे दिल्ली की धड़कन में बिहारी रंग
राजधानी दिल्ली में छठ पूजा, बिहार और पूर्वी यूपी की संस्कृति का जीवंत प्रतिबिंब बन चुकी है। कालिंदी कुंज, आईटीओ और मजनूं का टीला जैसे घाटों पर हजारों श्रद्धालु सूर्य की आराधना के लिए जुटते हैं। दिल्ली सरकार द्वारा बनाए गए कृत्रिम तालाब और सजावट से पूरा माहौल ‘मिनी बिहार’ जैसा नजर आता है, जहां आधुनिकता और परंपरा का सुंदर संगम दिखता है। यह दिल्ली पर्यटन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
झारखंड, जहां प्रकृति खुद करती है आराधना
झारखंड की धरती पर छठ पूजा प्रकृति की गोद में मनाई जाती है। जमशेदपुर के डोमुहानी घाट पर सुवर्णरेखा और खरकाई नदियों का संगम दीपों और सजावट से जगमगा उठता है। रांची, जमशेदपुर, हजारीबाग, धनबाद और बोकारो की झीलों के किनारे व्रती जब सूर्य की आराधना करते हैं, तो लगता है मानो पूरी प्रकृति भक्ति में लीन हो गई हो। यह झारखंड पर्यटन के लिए एक खास आकर्षण है।
हुगली की लहरों में छठ की मिठास
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुगली नदी यानी भागीरथी का तट छठ पूजा के दौरान जीवंत हो उठता है। यहां पूर्वांचल और बंगाल की संस्कृतियां मिलकर एक नई छवि बनाती हैं। दीपों की कतारें, पारंपरिक गीत और नदी किनारे का उत्सवपूर्ण माहौल इसे एक अद्भुत अनुभव बना देता है, जो दिखाता है कि आस्था भाषा या क्षेत्र की नहीं, भाव की होती है। यह कोलकाता पर्यटन का एक अभिन्न अंग है।
मुंबई में ‘सागर और सूर्य’ का संगम
मुंबई के अरब सागर किनारे जब हजारों श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं, तो दृश्य किसी फिल्म के क्लाइमेक्स जैसा लगता है। जुहू चौपाटी पर छठ पूजा का आयोजन मुंबई की विविधता और एकता दोनों को दर्शाता है। यहां समुद्र की लहरों के बीच हर साल गूंजते छठ गीत बताते हैं कि आस्था हर शहर की पहचान बन सकती है, बस भावना सच्ची होनी चाहिए। मुंबई पर्यटन में यह पर्व एक विशेष स्थान रखता है।
भारत की आत्मा में गूंजता एक ही स्वर: ‘जय छठी माई!’
आज छठ पूजा केवल बिहार का पर्व नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकजुटता और साझा परंपरा का प्रतीक बन चुका है। घाटों पर उमड़ती भीड़, पारंपरिक गीत और सूर्य उपासना का भाव हमें याद दिलाता है कि भारत की ताकत उसकी विविधता और आस्था में निहित है। भारत की संस्कृति और धार्मिक पर्यटन के लिए यह पर्व एक महत्वपूर्ण योगदान देता है।
