बजरंग पूनिया के पिता बलवान सिंह का निधन: एक प्रेरणादायक कहानी
हेलो दोस्तों! आज हम एक दुखद खबर पर बात करेंगे, जो भारतीय खेल जगत और विशेष रूप से पहलवानी के लिए एक बड़ी क्षति है। ओलंपियन पहलवान और किसान कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बजरंग पूनिया के पिता, बलवान सिंह जी का गुरुवार को दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया।
*बजरंग पूनिया अपने पिता के साथ*
यह खबर हम सभी के लिए बहुत दुखद है, खासकर उन लोगों के लिए जो खेल और ग्रामीण भारत की कहानियों से जुड़े हैं। बलवान सिंह जी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उन्होंने 18 दिनों तक अस्पताल में अपना इलाज करवाया, लेकिन अंततः वे इस दुनिया को अलविदा कह गए।
एक पिता की प्रेरणादायक भूमिका:
बलवान सिंह जी सिर्फ बजरंग पूनिया के पिता ही नहीं थे, बल्कि वे उनकी सफलता के पीछे की रीढ़ थे। उन्होंने अपने बेटे को बचपन से ही पहलवानी सिखाई थी और उनके करियर की नींव रखी थी। बलवान सिंह खुद भी पहलवान रह चुके थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वे अपने सपने को पूरा नहीं कर पाए। इसलिए, उन्होंने अपने बेटे को पहलवानी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया और उनका मार्गदर्शन किया।
बजरंग पूनिया ने कई बार बताया है कि उनके पिता की सख्त दिनचर्या और मेहनत ने ही उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बनाया। सात साल की उम्र में पहलवानी शुरू करने वाले बजरंग ने बाद में कई मेडल जीतकर अपने पिता के सपनों को सच किया। यह पिता-पुत्र की प्रेरणादायक कहानी है, जो हमें सिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और समर्पण कितना जरूरी है।
सादगी और सरल स्वभाव:
बलवान सिंह जी की सबसे बड़ी पहचान थी उनकी सादगी और सरल स्वभाव। वे सोनीपत के मॉडल टाउन में रहते थे और एक सादा जीवन जीते थे। वे रोज सुबह घर के बाहर कुर्सी पर बैठकर पड़ोसियों से बातचीत करते थे। उनकी सहजता और मिलनसारिता सभी को प्रभावित करती थी। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जो अपने आसपास के लोगों के दिलों में बसते थे।
श्रद्धांजलि और संवेदनाएं:
बलवान सिंह जी के निधन पर राजनीतिक और खेल जगत से संवेदनाएं जताई जा रही हैं। कांग्रेस सांसद कुमारी सैलजा ने ट्वीट कर दुख व्यक्त किया। बजरंग पूनिया ने भी सोशल मीडिया पर भावुक पोस्ट लिखकर अपने पिता को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने लिखा कि उनके पिता उनके पूरे परिवार की रीढ़ थे और उनके जाने से परिवार में एक गहरी खाली जगह बन गई है।
अंतिम संस्कार:
बलवान सिंह जी का अंतिम संस्कार शुक्रवार सुबह झज्जर के गांव खुड्डन में किया जाएगा। इस दुख की घड़ी में हम बजरंग पूनिया और उनके परिवार के साथ हैं। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि दिवंगत आत्मा को शांति मिले और परिवार को इस दुख की घड़ी में धैर्य मिले।
दोस्तों, यह हम सभी के लिए एक सीख है कि हमें अपने माता-पिता की कद्र करनी चाहिए और उनके सपनों को पूरा करने के लिए कोशिश करनी चाहिए।
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