ब्रिटेन में भारतीय मूल के हार्ट सर्जन डॉ. अमल कृष्ण बोस को यौन उत्पीड़न के आरोप में 6 साल की जेल!
नमस्ते दोस्तों! आज हम एक गंभीर मामले पर बात करेंगे जिसने ब्रिटेन में भारतीय समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। हार्ट सर्जन डॉ. अमल कृष्ण बोस को यौन उत्पीड़न के आरोप में ब्रिटिश अदालत ने 6 साल की सजा सुनाई है। यह घटना न केवल डॉक्टर के करियर पर बल्कि कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा और उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता पर भी सवालिया निशान लगाती है।
डॉ. अमल कृष्ण बोस, जो भारतीय मूल के हैं, को लंदन की एक अदालत ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न और अनुचित व्यवहार के आरोप में दोषी पाया। यह घटना 2017 से 2022 के बीच ब्लैकपूल विक्टोरिया अस्पताल में हुई। डॉक्टर पर महिला स्टाफ के साथ अनुचित हरकतें करने के आरोप लगे थे। न्याय की प्रक्रिया के दौरान, पीड़िताओं ने गवाही दी, जिससे अदालत ने उन्हें 12 मामलों में दोषी पाया।
वर्कप्लेस पर यौन उत्पीड़न एक गंभीर मुद्दा है, और यह केस हमें कार्यस्थल के महत्वपूर्ण विषयों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। पीड़िताओं ने बताया कि कैसे डॉक्टर ने अपने वरिष्ठ पद का फायदा उठाकर उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से परेशान किया। अदालत में पीड़िताओं के बयान पढ़े गए, जिसमें उन्होंने पैनिक अटैक, चिंता और असुरक्षा की बात कही। कुछ महिलाओं ने तो आत्म-हानि तक की कोशिश की और कई ने नौकरी छोड़ने या छुट्टी लेने का फैसला किया ताकि डॉक्टर से बचा जा सके। यह दुखद घटना उनके करियर और निजी जीवन दोनों पर गहरा प्रभाव डालती है।
ब्लैकपूल टीचिंग हॉस्पिटल्स की मुख्य कार्यकारी मैगी ओल्डहम ने कहा कि यह घटना अस्पताल प्रशासन के लिए एक गहरी चिंता का विषय है। अस्पताल अब पीड़िताओं को सहयोग देने और कार्यस्थल के माहौल को बेहतर बनाने पर ध्यान देगा। पुलिस और अभियोजन पक्ष ने पीड़िताओं के साहस की सराहना की, और कहा कि उनकी गवाही से ही न्याय संभव हो पाया।
डॉ. बोस ब्लैकपूल विक्टोरिया अस्पताल में हार्ड सर्जरी विभाग के प्रमुख थे। शिकायतों के सामने आने से पहले वे एक सम्मानित पद पर कार्यरत थे। मार्च 2023 में अस्पताल ट्रस्ट ने आरोपों को गंभीरता से लेते हुए पुलिस से संपर्क किया और डॉ. बोस को निलंबित कर दिया। मई 2023 में औपचारिक आरोप लगाए गए और ट्रायल शुरू हुआ। अदालत ने अब उन्हें दोषी करार देते हुए छह साल की जेल की सजा सुनाई है।
यह केस हमें कार्यस्थल पर सुरक्षित माहौल की जरूरत पर जोर देता है। यह यौन उत्पीड़न के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और पीड़ितों को सहायता प्रदान करने का भी महत्व बताता है। अदालत का फैसला एक मिसाल है, जो कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ सख्त कार्रवाई का संदेश देता है।
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