ढाका विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव: शशि थरूर की चिंताएँ और भारत पर प्रभाव
नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम की जो बांग्लादेश से आ रहा है और जिसकी गूंज भारत में भी सुनाई दे सकती है। हमारे वरिष्ठ कांग्रेस सांसद और पूर्व वैश्विक राजनयिक शशि थरूर ने ढाका विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा की जीत पर चिंता व्यक्त की है। यह जीत, जो बांग्लादेश में धार्मिक-राजनीतिक समीकरणों को बदलने का संकेत दे सकती है, भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण चेतावनी है।
ढाका विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में क्या हुआ?
ढाका विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में इस्लामी छात्र शिबिर, जो जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा है, ने 12 में से 9 पदों पर शानदार जीत हासिल की। यह एक महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि ढाका विश्वविद्यालय बंगाली राष्ट्रवाद और 1971 के मुक्ति संग्राम का प्रतीक रहा है। यहां जमात से जुड़े छात्रों की पहले कभी इतनी बड़ी उपस्थिति नहीं रही।
शशि थरूर का मानना है कि यह जीत भविष्य के लिए एक चिंताजनक संकेत है। उन्होंने इस जीत को प्रमुख पार्टियों, जैसे शेख हसीना की (प्रतिबंधित) अवामी लीग और खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के प्रति बढ़ती निराशा का परिणाम माना। उनका मानना है कि मतदाता कट्टरपंथी नहीं हैं, बल्कि जमात को मुख्यधारा की पार्टियों की भ्रष्टाचार और कुप्रशासन की छवि से जोड़ा नहीं गया।
भारत के लिए क्या है चिंता का विषय?
शशि थरूर ने भारत को सतर्क करते हुए सवाल उठाया है, “फरवरी 2026 के आम चुनावों में इसका क्या असर होगा? क्या नई दिल्ली को पड़ोस में जमात बहुमत से निपटना पड़ेगा?” उन्होंने नेपाल का उदाहरण नहीं लिया, जहां युवाओं ने गठबंधन सरकार को उखाड़ फेंका, लेकिन बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में पिछले कुछ वर्षों में ऐसी ही जनाक्रोश की घटनाएं देखी गई हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि भारत, बांग्लादेश और अन्य पड़ोसी देशों में हो रही राजनीतिक घटनाओं पर करीबी नजर रखे। राजनीतिक अस्थिरता, धार्मिक ध्रुवीकरण और आतंकवाद जैसे मुद्दों से निपटने के लिए भारत को तैयार रहना होगा।
विवाद और प्रतिक्रिया
ढाका विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए बीएनपी की छात्र शाखा, जतियताबादी छात्र दल (जेसीडी) ने चुनाव का बहिष्कार किया। इसके चलते हिंसा की आशंका बढ़ गई, जिसके चलते बांग्लादेश सेना और अर्धसैनिक बलों को जहांगीरनगर विश्वविद्यालय परिसर में तैनात किया गया।
पाकिस्तान ने जमात की इस जीत पर बधाई दी है, जो इस मामले में एक और परत जोड़ता है। विश्लेषक प्रणय शर्मा ने उल्लेख किया है कि फरवरी 2026 के संसदीय चुनाव से छह महीने पहले छात्र शिबिर का बीएनपी की छात्र शाखा पर भारी जीत हासिल करना राजनीतिक दलों के लिए अतिरिक्त चिंता का विषय है।
निष्कर्ष
ढाका विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा की जीत, बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत है। शशि थरूर की चिंताएँ भारत के लिए भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि यह क्षेत्रीय स्थिरता और भारत की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव डाल सकता है। हमें राजनीतिक घटनाक्रमों पर पैनी नजर रखनी होगी और चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा।
यह एक जटिल राजनीतिक परिदृश्य है, और आने वाले समय में बांग्लादेश और भारत के संबंधों में भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। हमें सतर्क रहने और इस क्षेत्रीय घटनाक्रम पर लगातार नजर रखने की आवश्यकता है।
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