मालवीय ने वीडियो शेयर कर खड़गे पर साधा निशाना

कांग्रेस और किसानों के मुद्दे पर अमित मालवीय का वार: क्या राहुल गांधी और कांग्रेस किसानों के साथ हैं?

Bharat में राजनीति का माहौल गरमाया हुआ है, और इस बार चर्चा का विषय है किसानों का मुद्दा। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने कांग्रेस और उसके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर तीखा हमला बोला है, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है।

अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो क्लिप शेयर करते हुए कांग्रेस पर किसानों की भावनाओं से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने लिखा, “अगली बार जब राहुल गांधी या कांग्रेस किसानों के लिए बोलने का दिखावा करें, तो उन्हें याद दिलाएं कि उनके अपने अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने किसानों के दर्द का मजाक उड़ाया था और उनसे कहा था कि ‘हर समय रोना-धोना और प्रचार की तलाश मत करो।” यह आरोप कांग्रेस की उस असंवेदनशीलता को उजागर करता है, जिसके कारण किसानों को दशकों तक निराशा का सामना करना पड़ा।

अमित मालवीय ने नरेंद्र मोदी की किसान-केंद्रित पहल का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि कैसे मोदी सरकार ने किसानों को आधुनिक खेती तकनीकों को अपनाने, आय दोगुनी करने और फसलों को मौसमी जोखिमों से बचाने में मदद की है। उन्होंने कहा, “कांग्रेस ने मजाक उड़ाया, लेकिन पीएम मोदी ने रिजल्ट दिए।”

इस मामले में बीजेपी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर किसानों के प्रति “असम्मान” का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को 8 साल तक लागू नहीं किया और कर्नाटक में हजारों किसानों ने आत्महत्या की, जिससे यह साबित होता है कि कांग्रेस किसानों के खिलाफ है।

शहजाद पूनावाला ने बिहार में कांग्रेस सांसद तारिक अनवर के एक वायरल वीडियो का भी जिक्र किया, जिसमें उन्हें बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करते समय ग्रामीणों के कंधों पर बैठे देखा गया। उन्होंने इसे “हकदारी का भाव” करार देते हुए कहा, “बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भी कांग्रेस को वीवीआईपी प्रोटोकॉल चाहिए? खड़गे जी किसानों का अपमान करते हैं, तारिक अनवर बाढ़ राहत का मजाक उड़ाते हैं। राहुल गांधी छुट्टियों पर हैं, आप छिपे हुए हैं, केवल पीएम मोदी ही वर्किंग मोड में हैं।”

पूनावाला का मानना है कि कांग्रेस नेताओं का यह रवैया उनकी जमीनी हकीकत से दूरी को दर्शाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने हमेशा किसानों के हितों की अनदेखी की, जबकि मोदी सरकार ने उनकी बेहतरी के लिए ठोस कदम उठाए हैं।

यह घटनाक्रम भारत में किसानों के प्रति राजनीतिक दलों के रवैये पर एक गंभीर सवालिया निशान लगाता है। क्या कांग्रेस वास्तव में किसानों के साथ है, या यह सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए किया जाने वाला प्रचार है? यह देखने वाली बात होगी कि आने वाले समय में कांग्रेस इस मामले पर क्या प्रतिक्रिया देती है और किसानों के लिए क्या ठोस कदम उठाती है। किसानों के हित में कौन सी पार्टी बेहतर काम करती है, यह भारतीय मतदाताओं के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय कारक होगा। कृषि क्षेत्र में विकास और किसानों का सशक्तिकरण आज की राजनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। इस किसान आंदोलन के बाद, किसानों के लिए क्या होगा, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। कांग्रेस का किसानों के प्रति रवैया और बीजेपी की किसानों के लिए योजनाएं आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा होंगे। किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार को और क्या करना चाहिए? ग्रामीण विकास के लिए क्या नीतिगत बदलाव लाने की आवश्यकता है? इन सवालों के जवाब भारतीय राजनीति के भविष्य को आकार देंगे। किसान हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और उनकी भलाई सुनिश्चित करना सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी है।

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