जस्टिस बीआर गवई का रिटायरमेंट: आदिवासी कल्याण और आरक्षण पर महत्वपूर्ण बातें
भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश, जस्टिस बीआर गवई आज सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस का पद छोड़ने से पहले यह स्पष्ट कर दिया कि वे सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी पद स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना है कि वे अपना समय आदिवासियों के कल्याण के लिए समर्पित करेंगे और दिल्ली में ही रहेंगे। अपने विदाई समारोह में जस्टिस बीआर गवई ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने विचार रखे और सवालों के जवाब दिए। हालांकि, उन्होंने एक विशेष मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
आरक्षण में क्रीमी लेयर पर जस्टिस गवई के विचार
जस्टिस बीआर गवई ने जोर देकर कहा कि यदि कोई चीफ जस्टिस सरकार के पक्ष में कोई फैसला सुनाता है, तो उसे स्वतंत्र न्यायाधीश नहीं मानना गलत है। उन्होंने एससी, एसटी के लिए आरक्षण में क्रीमी लेयर की व्यवस्था को लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना है कि इससे आरक्षण का लाभ उन लोगों तक पहुंचेगा जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है। उन्होंने सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं के प्रसार पर भी चिंता व्यक्त की, लेकिन कहा कि यह केवल न्यायपालिका के लिए ही नहीं, बल्कि सरकार के विभिन्न अंगों के लिए भी एक समस्या है।
राष्ट्रपति संदर्भ पर दिए फैसले पर राय
जस्टिस बीआर गवई ने किसी न्यायाधीश के घर में पैसे मिलने पर एफआईआर दर्ज होने या चीफ जस्टिस द्वारा कार्रवाई कराने जैसे सवालों पर कोई भी टिप्पणी करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया। राष्ट्रपति संदर्भ पर दिए गए फैसले, जिसमें राज्यपाल और राष्ट्रपति के विधेयकों को मंजूरी देने की समय-सीमा तय नहीं की जा सकती, के बारे में पूछे जाने पर जस्टिस गवई ने कहा कि 2 सदस्यीय पीठ के फैसले को पलटा नहीं गया है, बल्कि भविष्य में विवादों से बचने के लिए दिशानिर्देश तय किए गए हैं।
जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के 53वें CJI
भूषण रामकृष्ण गवई, यानी बीआर गवई, 23 नवंबर 2023 को भारतीय सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए थे। 23 नवंबर 2025 को उनका कार्यकाल समाप्त हो गया है। उनके बाद जस्टिस सूर्यकांत 24 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट के 53वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेंगे। नए CJI का शपथ ग्रहण समारोह राष्ट्रपति भवन में होगा, जिसमें भूटान, केन्या, मलेशिया, मॉरिशस, नेपाल और श्रीलंका समेत 7 देशों के न्यायिक प्रतिनिधिमंडल भी हिस्सा लेंगे। यह पहली बार होगा जब इतने देशों के न्यायिक प्रतिनिधिमंडल इस समारोह में शामिल होंगे। यह घटना भारतीय न्यायपालिका के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है।
