विश्वेश्वर व्रत 2025: आज है विश्वेश्वर व्रत, महादेव की ऐसे करें पूजा; विवाह और नौकरी की दिक्कतें होंगी दूर – Nepal Updates | Stock Exchange

विश्वेश्वर व्रत 2025: तिथि, महत्व और पूजन विधि

नमस्कार दोस्तों, क्या आप जानते हैं कि कार्तिक मास का शुक्ल पक्ष न केवल भगवान के उपासकों बल्कि शिव भक्तों के लिए भी कितना खास है? इस महीने में एक अत्यंत फलदायी व्रत आता है – विश्वेश्वर व्रत! यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और इस वर्ष, यह सोमवार, 3 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। सोमवार का दिन शिव साधना के लिए बेहद प्रिय माना जाता है, इसलिए यह दिन और भी विशेष हो जाता है।

क्यों है यह व्रत इतना खास?

माना जाता है कि जब विश्वेश्वर व्रत प्रदोष व्रत के दिन पड़ता है, तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है। यह व्रत न केवल आपको भौतिक सुख-संपन्नता प्रदान करता है, बल्कि आपके जीवन में शांति, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति भी लाता है। आपको बता दें कि विश्वेश्वर व्रत कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को रखा जाता है। यह तिथि भीष्म पंचक के दौरान आती है, जो कार्तिक माह के अंतिम पांच दिन होते हैं।

विश्वेश्वर व्रत का धार्मिक महत्व

हिन्दू धर्म में शिव साधना का बहुत महत्व है। भगवान शिव की आराधना से जीवन के हर क्षेत्र के लिए गहरा संदेश मिलता है। मान्यता है कि विश्वेश्वर व्रत के पालन से भगवान शिव स्वयं अपने भक्त की हर बाधा को दूर करते हैं। यह व्रत व्यक्ति के भीतर की नकारात्मकता को मिटाकर सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास से भर देता है। भक्तों का अटूट विश्वास है कि इस दिन सच्चे मन से की गई प्रार्थना विवाह, नौकरी, व्यापार या परिवार से जुड़ी हर समस्या को दूर कर देती है। यह व्रत जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाता है।

विश्वेश्वर व्रत पूजन विधि

स्नान और संकल्प: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। फिर शिवलिंग के सामने खड़े होकर यह संकल्प लें कि ‘मैं भगवान विश्वेश्वर की कृपा पाने हेतु यह व्रत कर रहा/रही हूँ’।

शिवलिंग का अभिषेक: इसके बाद शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से पंचामृत अभिषेक करें। फिर बिल्व पत्र, धतूरा, आक, चावल, चंदन और पुष्प अर्पित करें। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह अभिषेक बहुत महत्वपूर्ण है।

मंत्र जाप और कथा: इस दिन ‘ॐ नमः शिवाय‘ मंत्र का कम-से-कम 108 बार जाप करना चाहिए। साथ ही, विश्वेश्वर व्रत कथा का पाठ या श्रवण करने से तुरंत लाभ होता है। यह कथा भगवान शिव के विश्वेश्वर स्वरूप के उद्भव और भक्तों पर उनकी कृपा की कहानी बताती है।

उपवास और दान: इस दिन अधिकांश भक्त उपवास रखते हैं, जिससे हर प्रकार के मनोरथ पूरे होते हैं। आप चाहें तो कुछ फलाहार कर सकते हैं। शाम को दीप जलाकर आरती करें और अगले दिन पारण करें। जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करना विशेष फल देता है। यह दान आपके पुण्य को बढ़ाता है।

विश्वेश्वर व्रत से मिलने वाले फल

इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, शांति और आत्मबल बढ़ता है। पूरी श्रद्धा, भक्ति और समर्पण से करने वालों भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है। प्रेम, विवाह और करियर से जुड़ी अड़चनें दूर होती हैं। इसके साथ ही, घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है। विश्वेश्वर व्रत निश्चित रूप से कल्याणकारी है।

तो दोस्तों, इस साल विश्वेश्वर व्रत को पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाएं और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें। ॐ नमः शिवाय! शुभकामनाएं!

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