शख्स के पेट से निकले नट बोल्ट और कीलें, जयपुर के SMS अस्पताल में 3 घंटे तक चला ऑपरेशन – Nepal Updates | Stock Exchange

जयपुर में चमत्कार! मानसिक रोगी के पेट से निकलीं घड़ी, कीलें और नट-बोल्ट – डॉक्टरों ने बचाई जान

राजधानी जयपुर के एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने चिकित्सा विज्ञान में एक अनूठी मिसाल कायम की है। यहां सर्जरी विभाग की टीम ने एक मानसिक रूप से पीड़ित युवक के पेट और आहार नली से नुकीली और भारी धातु की वस्तुएं जैसे कि घड़ी, नट-बोल्ट और कीलें निकालकर उसे नया जीवन दिया।

बागौर निवासी 26 वर्षीय सुभाष पिछले डेढ़ महीने से मानसिक रोग से जूझ रहा था। इसी दौरान, उसने अनजाने में घड़ी, कील, नट-बोल्ट और अन्य धातु की चीजें निगल लीं। कुछ हफ्तों के बाद, उसे तेज पेट दर्द और उल्टियां शुरू हो गईं, जिसके बाद उसके परिवार ने उसे तत्काल एसएमएस अस्पताल के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया।

जांच में, डॉक्टरों ने पाया कि उसकी आहार नली में एक घड़ी फंसी हुई थी, जबकि आंतों में कई नुकीली धातु की वस्तुएं उलझी हुई थीं। स्थिति बेहद गंभीर थी और तत्काल हस्तक्षेप की आवश्यकता थी।

पहले डॉक्टरों ने एंडोस्कोपी के माध्यम से धातु को निकालने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके बाद, जनरल सर्जन डॉ. शालू गुप्ता और डॉ. फारुख खान की टीम ने वीएटीएस (वीडियो असिस्टेड थोरैकोस्कोपिक सर्जरी) तकनीक का सहारा लिया। यह एक आधुनिक सर्जरी प्रक्रिया है जिसमें बिना बड़े चीरे के दूरबीन की सहायता से सर्जरी की जाती है। यह न्यूनतम इनवेसिव सर्जरी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

लगभग 3 घंटे तक चले ऑपरेशन में, पहले घड़ी को सफलतापूर्वक निकाला गया, फिर पेट में एक छोटा चीरा लगाकर नट, बोल्ट और कीलों को भी बाहर निकाला गया। ऑपरेशन पूरी तरह से सफल रहा और सुभाष की हालत अब स्थिर है। डॉक्टरों के अनुसार, समय पर इलाज न होने पर धातु के कारण आंत फट सकती थी और संक्रमण से जान का खतरा हो सकता था। यह जयपुर एसएमएस मेडिकल कॉलेज की एक बड़ी चिकित्सा सफलता है। राजस्थान के स्वास्थ्य सेवाओं में यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। सर्जरी टीम की तत्परता और कौशल ने एक मानसिक रोगी की जान बचाई। यह मेडिकल इतिहास में दर्ज होने वाली एक अनोखी घटना है।

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