नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं का आंदोलन: एक विस्तृत विश्लेषण
नमस्ते दोस्तों! आज हम बात करेंगे नेपाल में हाल ही में हुए युवा आंदोलन के बारे में, जिसने नेपाल की राजनीति में एक बड़ा बदलाव ला दिया है। यह घटना सिर्फ इंस्टाग्राम या यूट्यूब पर सोशल मीडिया बैन के खिलाफ शुरू हुई, लेकिन जल्दी ही यह भ्रष्टाचार और सत्ताधारी वर्ग के खिलाफ विद्रोह में बदल गई। इस आंदोलन ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया।
नेपाल में सोशल मीडिया बैन और युवाओं का गुस्सा
नेपाल सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, जैसे इंस्टाग्राम, यूट्यूब, व्हाट्सएप और X पर बैन लगाया था। सरकार का कहना था कि ये प्लेटफॉर्म देश की अर्थव्यवस्था में योगदान नहीं दे रहे हैं। हालांकि, युवाओं ने इसे अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला माना। खासकर, Gen Z यानी नए दौर के युवाओं ने इस फैसले का पुरजोर विरोध किया।
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगने के बाद, युवाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया। उन्होंने विरोध प्रदर्शन किए, रैलियां निकालीं और अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश की। यह आंदोलन जल्द ही काठमांडू की सड़कों पर फैल गया और पूरे देश में फैल गया।
भ्रष्टाचार और नेपो किड्स के खिलाफ आक्रोश
सोशल मीडिया बैन तो बस एक बहाना था। इस आंदोलन का असली कारण था भ्रष्टाचार और नेताओं के परिवारवाद के खिलाफ गुस्सा। टिकटॉक पर वायरल हुए वीडियो में दिखाया गया कि सामान्य नेपाली युवा बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं, जबकि राजनेताओं के बच्चे आलीशान जिंदगी जी रहे हैं। हैशटैग #NepoKid और #PoliticiansNepoBabyNepal ट्रेंड करने लगे। नेपाल के युवा, भ्रष्टाचार और कुशासन से तंग आ चुके थे।
इस आंदोलन में जनता का गुस्सा नेपाल सरकार के खिलाफ फूट पड़ा, साथ ही राजनीतिक वर्ग के खिलाफ भी। यह आंदोलन दिखाता है कि लोग भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं और बदलाव चाहते हैं।
बांग्लादेश और श्रीलंका से प्रेरणा
नेपाल के युवाओं ने पड़ोसी देशों से भी प्रेरणा ली। बांग्लादेश में, छात्रों ने 2024 में नौकरी में कोटा प्रणाली के खिलाफ आंदोलन किया था। इसी तरह, 2022 में श्रीलंका में महंगाई और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं ने विरोध प्रदर्शन किए, जिसके परिणामस्वरूप राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा। नेपाल के युवा भी इन उदाहरणों से उत्साहित थे।
विपक्ष भी नहीं बचा गुस्से से
यह आंदोलन केवल सत्ताधारी पार्टी तक ही सीमित नहीं रहा। प्रदर्शनकारियों ने विपक्षी नेताओं के घरों को भी निशाना बनाया। यह दिखाता है कि युवाओं का गुस्सा किसी एक पार्टी के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरी राजनीतिक व्यवस्था के खिलाफ था। यह एक ऐसा आंदोलन था जिसमें युवाओं ने सरकार के खिलाफ अपनी नाराजगी व्यक्त की।
भारत की चिंता और सीमा पर सतर्कता
नेपाल में हिंसक घटनाओं और मौतों के बाद, भारत ने चिंता जताई है। नई दिल्ली ने हिंसा की निंदा की है और नेपाल की जनता से शांति और लोकतंत्र के रास्ते पर आगे बढ़ने का आग्रह किया है। भारत ने अपनी नेपाल सीमा पर निगरानी कड़ी कर दी है ताकि अशांति का असर उसके इलाके तक न पहुंचे।
नेपाल का आगे का रास्ता
प्रधानमंत्री के इस्तीफे के बाद, नेपाल के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि वह युवाओं के गुस्से को कैसे शांत करे और राजनीतिक स्थिरता कैसे बहाल करे। क्या ये युवा आंदोलन किसी स्थायी राजनीतिक विकल्प में बदल पाएगा? यह समय ही बताएगा।
यह स्पष्ट है कि नेपाल की राजनीति में एक नया दौर शुरू हो चुका है। सोशल मीडिया और युवाओं की सक्रियता ने नेपाल में बदलाव की हवा पैदा कर दी है। यह आंदोलन दिखाता है कि जनता बदलाव चाहती है और भ्रष्टाचार और अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेगी। नेपाल के लिए आगे का रास्ता मुश्किल है, लेकिन युवाओं की ऊर्जा और संघर्ष से उम्मीद की जा सकती है।
निष्कर्ष
नेपाल का यह आंदोलन दक्षिण एशिया में युवाओं की बढ़ती हुई भूमिका का एक और उदाहरण है। युवा अब सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हैं, बल्कि वे राजनीतिक बदलाव के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं। यह आंदोलन नेपाल की राजनीति के लिए एक नया अध्याय है।