फ्रांस में इस्लामोफोबिया का साया: मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर मिलने से धार्मिक घृणा का खतरा
पेरिस, फ्रांस में हाल ही में घटी एक विवादास्पद घटना ने पूरे देश में तहलका मचा दिया है। फ्रांस की राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में नौ मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर पाए जाने से इस्लामिक समुदाय में गुस्सा और डर का माहौल है। इस घटना को धार्मिक भेदभाव और नफरत फैलाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है।
यह घटना वाकई में चिंताजनक है। इन सूअरों के कुछ सिरों पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का नाम भी लिखा गया था, जो इस घटना को और भी गंभीर बनाता है। पुलिस ने तुरंत जांच शुरू कर दी है और इस नफरत फैलाने वाले कृत्य के पीछे के लोगों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। यह घटना फ्रांस में बढ़ती इस्लामोफोबिया और धार्मिक घृणा की ओर इशारा करती है, जो समाज के लिए एक बड़ा खतरा है।
यह घटना मंगलवार को पेरिस में सामने आई, जिसने न केवल मुस्लिम समुदाय को झकझोर कर रख दिया, बल्कि पूरे फ्रांस को हैरान कर दिया। इस्लाम में सूअर का मांस हराम और अपवित्र माना जाता है, इसलिए मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर रखना एक सुनियोजित धार्मिक अपमान माना जा रहा है। राष्ट्रपति मैक्रों से लेकर पेरिस की मेयर तक, सभी ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।
पेरिस पुलिस प्रमुख लॉरेंट नुनेज ने बताया कि पेरिस शहर में चार और उपनगरीय इलाकों में पांच मस्जिदों के बाहर सूअरों के सिर मिले हैं। उन्होंने यह भी कहा कि इस बात की संभावना है कि अन्य जगहों पर भी ऐसी घटनाएं हुई हों। यह निश्चित रूप से मुस्लिम समुदाय को भड़काने और उनके खिलाफ नफरत फैलाने का एक घृणित प्रयास है। यह घृणा अपराध की एक स्पष्ट मिसाल है।
बढ़ते इस्लामोफोबिया पर चिंता
फ्रांस के आंतरिक मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि जनवरी से मई 2025 के बीच देश में एंटी-मुस्लिम घटनाओं में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खासतौर पर व्यक्तियों पर हमलों की संख्या तीन गुना हो गई है। यूरोपीय संघ की रिपोर्ट भी बताती है कि गाजा युद्ध के बाद से यूरोप के कई देशों में मुस्लिम और यहूदी समुदायों के खिलाफ घृणा अपराधों में तेजी आई है। यह एक गंभीर स्थिति है, जिसे तत्काल समाधान की जरूरत है। हमें धार्मिक सहनशीलता और सामंजस्य को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। Government को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।
नेताओं और समुदाय की प्रतिक्रिया
इस घटना के बाद राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने मुस्लिम समुदाय के नेताओं से मुलाकात कर उन्हें अपना समर्थन जताया। पेरिस की मेयर ऐन हिडाल्गो ने कानूनी कार्रवाई शुरू की और इसे नस्लवादी हमला बताया। आंतरिक मंत्री ब्रूनो रिटायो ने कहा कि मुस्लिम नागरिकों को शांति से अपना धर्म पालन करने का पूरा अधिकार है और ऐसे कृत्य बिल्कुल अस्वीकार्य हैं। यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन कार्रवाई अभी भी जल्द से जल्द होनी चाहिए।
मुस्लिम समुदाय में नाराजगी
ग्रैंड मस्जिद ऑफ पेरिस के रेक्टर चेएम्स-एद्दीन हफीज ने इस घटना को ‘इस्लामोफोबिया की एक नई और दुखद कड़ी’ बताया। एंटी-डिस्क्रिमिनेशन ग्रुप ‘अदाम’ के प्रमुख बासीरू कामारा ने कहा कि लगातार चेतावनी देने के बावजूद प्रशासन गंभीरता नहीं दिखा रहा। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर अभी सख्त कदम नहीं उठाए गए तो अगला कदम क्या होगा? मस्जिदों में नमाजियों पर हमला? मुस्लिम समाज में इस घटना ने गहरी बेचैनी और भय पैदा कर दिया है।
फ्रांस में इस्लामोफोबिया एक वास्तविक खतरा है, और इस तरह की घटनाएं इस समस्या को और भी बदतर बना रही हैं। सरकार को नफरत फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और मुस्लिम समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। हमें धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना होगा और भेदभाव के खिलाफ लड़ना होगा। यह समय है कि हम सब मिलकर फ्रांस को सहनशीलता और सद्भाव का देश बनाएं। Hate speech को रोकने की जरूरत है। Religious discrimination अब बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। France को tolerance की जरूरत है।