बांग्लादेश में अमेरिकी सेना की मौजूदगी और दक्षिण एशिया में भू-रणनीतिक बदलाव – भारत और अमेरिका की बढ़ती सक्रियता
दक्षिण एशिया में भू-राजनीति गर्मा रही है! हाल ही में हुई सैन्य गतिविधियाँ इस क्षेत्र में बदलाव का संकेत दे रही हैं। इस लेख में, हम बांग्लादेश में अमेरिकी सेना की मौजूदगी और भारत द्वारा म्यांमार में सैनिकों की तैनाती पर विस्तार से चर्चा करेंगे, साथ ही यह भी देखेंगे कि ये घटनाएँ अमेरिका, भारत और चीन के बीच रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को कैसे दर्शाती हैं।
अमेरिकी सैन्य गतिविधि
बांग्लादेश के चटगांव में अमेरिकी सेना के जवानों की मौजूदगी ने सभी का ध्यान खींचा है। सितंबर की शुरुआत में, अमेरिकी वायु सेना का एक C-130J सुपर हर्क्यूलिस विमान चटगांव के शाह अमानत अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर उतरा, जिसमें लगभग 120 अमेरिकी सैनिक और अधिकारी सवार थे। यह घटनाक्रम ‘ऑपरेशन पैसिफिक एंजल 25-3’ का हिस्सा था, जो अमेरिका, बांग्लादेश और श्रीलंका की वायु सेनाओं के बीच हुआ। इस सैन्य अभ्यास का मुख्य फोकस हवाई, जमीनी और चिकित्सा आपातकालीन सहयोग पर था।
लेकिन सवाल यह है कि इस अभ्यास को इतनी गोपनीयता से क्यों अंजाम दिया गया? बांग्लादेशी सेना के सूत्रों का मानना है कि चटगांव का स्थान बेहद संवेदनशील है क्योंकि यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों और म्यांमार के राखाइन प्रांत के करीब है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम अमेरिका की ‘इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी’ का हिस्सा है, जिसके तहत चीन को घेरने की कोशिश की जा रही है। इससे पहले भी अमेरिका और बांग्लादेश के बीच ‘टाइगर लाइटनिंग-2025’ और ‘पैसिफिक एंजल-25’ जैसे सैन्य अभ्यास हो चुके हैं। US troops in Bangladesh की इस गुप्त तैनाती के पीछे का असल मकसद क्या है, यह अभी भी एक रहस्य बना हुआ है।
भारत की म्यांमार में सैन्य तैनाती
बांग्लादेश में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती के कुछ ही दिनों बाद, भारत ने भी म्यांमार में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा दी। 16 सितंबर को भारतीय वायुसेना का IL-76 विमान नायपीडॉ पहुंचा, जिसमें थलसेना, नौसेना और वायुसेना के 120 जवान सवार थे। यह कार्यक्रम ‘इंडिया-म्यांमार रेसिप्रोकल मिलिट्री कल्चरल एक्सचेंज’ के तहत आयोजित हो रहा है। इस सैन्य अभ्यास का उद्देश्य ऑपरेशनल सहयोग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और रक्षा संबंधों को मजबूत करना है।
भारत का यह कदम म्यांमार की सैन्य जंटा सरकार के साथ संबंधों को और गहरा करने का प्रयास माना जा रहा है। म्यांमार भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ का अहम हिस्सा है, खासकर कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट प्रोजेक्ट जैसे रणनीतिक प्रोजेक्ट्स के लिए।
दक्षिण एशिया में भू-राजनीतिक निहितार्थ
इन घटनाओं का दक्षिण एशिया की भू-राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है। अमेरिका और भारत दोनों ही इस क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं। चीन की बढ़ती प्रभावशालीता को देखते हुए, यह क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश में अमेरिकी सेना की मौजूदगी और भारत द्वारा म्यांमार में सैनिकों की तैनाती, दक्षिण एशिया में चल रहे भू-राजनीतिक बदलाव का हिस्सा हैं। यह अमेरिका, भारत और चीन के बीच बढ़ती रणनीतिक प्रतिस्पर्धा को दर्शाता है। आने वाले समय में, हम इस क्षेत्र में और भी अधिक सैन्य गतिविधियों और राजनीतिक घटनाक्रमों की उम्मीद कर सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि ये घटनाएँ दक्षिण एशिया के भविष्य को कैसे आकार देंगी। Regional dynamics और geopolitical tensions आने वाले समय में और भी महत्वपूर्ण हो जाएंगे।