पीएम मोदी का भाषण: आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम
भारत के माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण भाषण दिया, जिसमें उन्होंने भारत की आत्मनिर्भरता पर ज़ोर दिया। यह भाषण पीएम मोदी द्वारा भावनगर में आयोजित एक जनसभा में दिया गया, जहाँ उन्होंने भारत के सामने मौजूद चुनौतियों और आत्मनिर्भर भारत की ज़रूरत पर प्रकाश डाला।
पीएम मोदी स्पीच में उन्होंने कहा कि भारत का असली दुश्मन कोई और देश नहीं, बल्कि दूसरों पर हमारी निर्भरता है। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि आत्मनिर्भरता ही भारत को राष्ट्रीय शक्ति और वैश्विक सम्मान दिला सकती है। उन्होंने कहा, “दुनिया में हमारा कोई बड़ा दुश्मन नहीं है। हमारा एकमात्र असली दुश्मन दूसरे देशों पर हमारी निर्भरता है।”
आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर उन्होंने विस्तार से बात की और इसे भारत के भविष्य के लिए ज़रूरी बताया। उन्होंने कहा, “विदेशी निर्भरता जितनी ज़्यादा होगी, राष्ट्र की विफलता उतनी ही ज्यादा होगी। वैश्विक शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए, दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश को आत्मनिर्भर बनना होगा।” यह आत्मनिर्भरता का आह्वान न केवल भारत को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएगा, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में भी मदद करेगा।
एच-1बी वीजा और भारत पर इसका प्रभाव
इस भाषण का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह उन चिंताओं के बीच आया है जो अमेरिकी नीतियां भारत को प्रभावित कर रही हैं। पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एच-1बी वीजा आवेदनों पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने वाले एक प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए। यह प्रस्ताव 21 सितंबर से प्रभावी होगा। भारत, जहाँ एच-1बी वीज़ा धारकों की संख्या 71% है, पर इसका सबसे ज़्यादा असर पड़ने की आशंका है। इसके अतिरिक्त, अमेरिका द्वारा भारतीय आयातों पर लगाए गए 50% के व्यापक शुल्क से भी कोई राहत नहीं मिली है।
एच-1बी वीजा एक विशिष्ट वीज़ा है जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष व्यवसायों में नियुक्त करने की अनुमति देता है। यह वीज़ा भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो अमेरिका में तकनीकी क्षेत्र में काम करते हैं। पीएम मोदी ने इस मुद्दे पर भी बात की और आत्मनिर्भर बनने की ज़रूरत पर बल दिया ताकि भारत विदेशी निर्भरता को कम कर सके।
आत्मनिर्भरता की भावना का आह्वान
गुजरात में पीएम मोदी ने आत्मनिर्भरता की भावना का आह्वान करते हुए कहा, “अगर हम दूसरों पर निर्भर रहेंगे, तो हमारे आत्मसम्मान को ठेस पहुँचेगी। हम 1.4 अरब देशवासियों का भविष्य दूसरों पर नहीं छोड़ सकते।” उन्होंने आगे कहा, “सौ दुखों की एक ही दवा है, और वह है आत्मनिर्भर भारत।”
आत्मनिर्भर भारत का विचार केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देता है। इसका मतलब है कि भारत को शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने की आवश्यकता है। मेक इन इंडिया जैसी पहलें पहले से ही इस दिशा में काम कर रही हैं।
पीएम मोदी का यह भाषण आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मजबूत करता है और भारत के नागरिकों को आत्मनिर्भरता की भावना के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रेरित करता है। यह भारत को एक मजबूत, समृद्ध, और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए कई तरह की नीतियों और योजनाओं पर काम कर रही है, जिसका उद्देश्य भारत को वैश्विक बाजार में एक प्रतिस्पर्धी शक्ति के रूप में स्थापित करना है। आत्मनिर्भर भारत न केवल भारत के लिए, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक परिणाम लाएगा।