बिहार चुनाव 2025: चिराग पासवान का अगला कदम क्या होगा?
बिहार चुनाव 2025 की तैयारी जोर-शोर से चल रही है और इस बीच, चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) और NDA के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत काफी अहम मोड़ पर है। उनके फैसले का बिहार की राजनीति और एनडीए की ताकत पर सीधा असर पड़ सकता है। चिराग पासवान ने हाल ही में धर्मेंद्र प्रधान से मुलाकात की थी, जिसके बाद आज भी उनकी बीजेपी के साथ बातचीत जारी है। हालांकि, अभी तक कोई सहमति बनती हुई नहीं दिख रही है। पार्टी ने पटना में एक आपात बैठक बुलाई है, और चिराग पासवान दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं। अब यह माना जा रहा है कि चिराग का अगला कदम प्रदेश में चुनाव से पहले कोई बड़ा उलटफेर कर सकता है। आइए समझते हैं कि मामला क्या है:
खबरों के अनुसार, चिराग पासवान इस बार लगभग 40 सीटें चाहते हैं, जबकि बीजेपी और जेडीयू उन्हें केवल 22-25 सीटें देने को तैयार हैं। इस बात पर सहमति न बन पाने की वजह से स्थिति थोड़ी जटिल हो गई है।
ऐसे में चिराग पासवान के पास तीन मुख्य विकल्प हैं: पहला, वे अकेले चुनाव लड़ना का फैसला कर सकते हैं। दूसरा, वे महागठबंधन के साथ जा सकते हैं, जो उन्हें बेहतर सीट शेयरिंग का अवसर प्रदान कर सकता है। और तीसरा, वे प्रशांत किशोर और अन्य पार्टियों के साथ मिलकर एक नया थर्ड फ्रंट बना सकते हैं। यह विकल्प उन्हें बिहार की राजनीति में एक नई शक्ति के रूप में स्थापित करने का मौका दे सकता है। चिराग पासवान को ध्यान रखना होगा कि उनका हर फैसला उनकी पार्टी के भविष्य को तय करेगा। बिहार विधानसभा चुनाव में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होने वाली है।
LJP का मुख्य वोट बैंक दलित समाज में है, खासकर पासवान समुदाय के लोगों का उन्हें पूर्ण समर्थन है। यह वोट बैंक बिहार के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में केंद्रित है, जो चुनाव में बीजेपी और जेडीयू को प्रभावित कर सकता है। चिराग पासवान को इस वोट बैंक को बनाए रखने और बढ़ाने पर ध्यान देना होगा ताकि वे बिहार की राजनीति में अपनी स्थिति मजबूत कर सकें। दलित वोट बैंक किसी भी पार्टी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
बिहार चुनाव 2025 में चिराग पासवान की भूमिका पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। उनके फैसले का असर एनडीए और महागठबंधन दोनों पर पड़ेगा। बिहार की जनता भी उनके अगले कदम का इंतजार कर रही है। चिराग पासवान के पास बिहार की राजनीति को बदलने का सुनहरा अवसर है। उन्हें यह तय करना है कि वे इस अवसर का कैसे उपयोग करते हैं। सीट शेयरिंग को लेकर उनकी रणनीति क्या होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
