भारत में डिजिटल क्रांति और मीडिया परिदृश्य का भविष्य: तकनीकी नवाचार, नियमन और जनसशक्तिकरण की ओर बढ़ता देश
नई दिल्ली, जून 2025 — भारत का मीडिया और मनोरंजन (एम एंड ई) क्षेत्र एक ऐतिहासिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एकीकरण, साइबर सुरक्षा, डेटा पारदर्शिता और मजबूत नियामक नीतियों के मिश्रण ने इस सेक्टर को नवाचार, जिम्मेदारी और सामाजिक-आर्थिक विकास के केंद्र में ला खड़ा किया है।
मीडिया और मनोरंजन में बदलाव की लहर
भारत में मीडिया उद्योग तेजी से डिजिटल हो रहा है, और इसका असर प्रिंट से लेकर सोशल मीडिया तक हर माध्यम पर दिखाई दे रहा है।
प्रिंट मीडिया: वापसी की कोशिश और भविष्य की रणनीति
कोविड-19 के बाद प्रिंट मीडिया ने धीरे-धीरे पुनरुत्थान किया है। पाठक संख्या में वृद्धि और विज्ञापन राजस्व की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए प्रकाशकों को अधिक स्थानीय समाचार, विश्लेषण और प्रासंगिक सामग्री देने की आवश्यकता है। “10 मिनट और 20 पेज सफलता के लिए” जैसे संपादकीय मंत्र, कूपन और छूट जैसी रणनीतियाँ इसकी वापसी में मददगार हो रही हैं। हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में विज्ञापन की हिस्सेदारी में वृद्धि इस बदलाव को दर्शाती है।
ऑनलाइन समाचार: डिजिटल प्लेटफॉर्म का वर्चस्व
ऑनलाइन समाचार उपभोक्ताओं की संख्या 2026 तक 508 मिलियन से अधिक हो जाएगी। शॉर्ट वीडियो और टेक्स्ट सबसे पसंदीदा फॉर्मेट बन गए हैं। हालांकि, अधिकांश पाठक मुफ्त सामग्री पर निर्भर हैं और केवल 1.7 मिलियन लोगों ने भुगतान करके डिजिटल समाचार लिया है।
हाइपरलोकल कंटेंट: क्षेत्रीय भाषाओं का उदय
हिंदी और गुजराती जैसे भाषाई बाजारों में हाइपरलोकल समाचारों की मांग बढ़ी है। Way2News, Lokal जैसे प्लेटफॉर्मों ने छोटे इलाकों में बड़ी पकड़ बनाई है, जो स्थानीय चैट समूहों और यूज़र जनरेटेड कंटेंट के माध्यम से लोगों को उनके क्षेत्र की जानकारी दे रहे हैं।
सोशल मीडिया: प्रसार, प्रभाव और जवाबदेही
सोशल मीडिया अब समाचार खपत का प्रमुख स्रोत बन गया है, जहां 79% यूज़र समाचार YouTube, Facebook, WhatsApp, और Instagram जैसे माध्यमों से प्राप्त करते हैं। लेकिन साथ ही फेक न्यूज की चुनौती गंभीर बनी हुई है — 60% से अधिक यूज़र्स इसका सामना कर चुके हैं।
सरकार ने IT नियम 2021 के तहत सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को डीपफेक सामग्री 36 घंटे में हटाने के निर्देश दिए हैं। संसद में भी फेक न्यूज पर नियंत्रण और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के लिए जवाबदेही तय करने पर चर्चा हो रही है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI): मीडिया की नई रीढ़
AI की मदद से लेखन, अनुवाद, हाइपर-पर्सनलाइज्ड न्यूज़, इन्फोग्राफिक्स और सामग्री संक्षेपण जैसे कई कार्य स्वचालित हो रहे हैं। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने AI के नैतिक उपयोग पर ज़ोर देते हुए कहा है कि सच्चाई के प्रति मीडिया की प्रतिबद्धता सर्वोपरि है।
भारत सरकार ने AI के विकास के लिए निजी स्टार्टअप्स को सार्वजनिक डेटा साझा करने का आह्वान किया है, जिससे डिजिटल इनोवेशन और रोजगार दोनों को बल मिलेगा।
साइबर सुरक्षा और डेटा पारदर्शिता: डिजिटल भविष्य की नींव
साइबर अपराध, डिजिटल गिरफ्तारी जैसे धोखाधड़ी मामलों में वृद्धि ने सरकार को सुरक्षा उपाय तेज करने पर मजबूर किया है। गृह मंत्रालय ने “साइबर सुरक्षित भारत” मिशन को प्राथमिकता दी है और नागरिकों को www.cybercrime.gov.in पर रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
इसी बीच, सांख्यिकी मंत्रालय ने “ई-सांख्यिकी पोर्टल” लॉन्च किया है, जिससे सरकारी डेटा अधिक पारदर्शी और डिजिटल हो गया है। RBI और CERT-In ने भी डेटा उल्लंघनों को रोकने के लिए सक्रिय पहल की है।
डिजिटल शासन और सेवा वितरण: जनसशक्तिकरण की दिशा में कदम
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10 करोड़ डिजिटाइज़्ड अभिलेख अब नेशनल आर्काइव्स पोर्टल पर उपलब्ध हैं।
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आयुष्मान भारत, इंडिया पोस्ट, AIIMS और NABH जैसी संस्थाओं ने डिजिटल समाधान अपनाए हैं।
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MyGov अब डेटा-संचालित कंटेंट लेखक और शोधकर्ता की नियुक्ति कर रहा है।
डिजिटल सेवाओं के प्रसार में TRAI, DoT और अन्य संस्थाएं नागरिकों को बेहतर नेटवर्क, स्वास्थ्य, ई-कॉमर्स और सरकारी सेवाओं से जोड़ रही हैं। AI चैटबॉट, मोबाइल ऐप्स और डिजिटल हेल्थ रिकॉर्ड जैसे उपकरण अब भारतीय शासन तंत्र का हिस्सा बन चुके हैं।
आर्थिक प्रभाव और नियामक ढांचा
FDI, डिजिटल टैक्सेशन और डेटा नीतियाँ भारत को वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रतिस्पर्धी बना रही हैं। डिजिटल प्रतिस्पर्धा विधेयक और BNS जैसे नए कानून आधुनिक भारत की कानूनी और तकनीकी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में हैं।
निष्कर्ष: एक नया भारत, डिजिटल भारत
भारत का मीडिया और डिजिटल परिदृश्य तकनीक, पारदर्शिता और लोकतंत्र की रक्षा के बीच संतुलन साधते हुए आगे बढ़ रहा है। AI, सोशल मीडिया और हाइपरलोकल कंटेंट का उपयोग यदि उचित नियमन और जवाबदेही के साथ किया जाए, तो यह न केवल सूचना तक पहुंच को लोकतांत्रिक बनाएगा, बल्कि आर्थिक और सामाजिक विकास को भी नई दिशा देगा।
भारत अब सिर्फ एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक निर्माता राष्ट्र बनने की ओर अग्रसर है — डिजिटल, समावेशी और जिम्मेदार भविष्य की ओर।